हर साल 1 मई को विश्व भर में International Labour Day यानि अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस मनाया जाता है। इसे अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस और मई दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन दुनिया भर में श्रमिकों के योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। वर्ष 1891 में पहली बार 1 मई को औपचारिक रूप से प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाया जाने की घोषणा की गई थी।
भारत में मई दिवस की शुरुआत:
भारत में पहला श्रम दिवस या मई दिवस 1 मई, 1923 को लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा मद्रास (जिसे अब चेन्नई के रूप में जाना जाता है) में मनाया गया था। यह पहला मौका था जब मजदूर दिवस के प्रतीक लाल झंडे का इस्तेमाल भारत में किया गया था। इसके अलावा इसे हिंदी में कामगर दिवस या अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस, मराठी में कामगर दिवस और तमिल में उझिपालार नाल (Uzhaipalar Naal) के नाम से भी जाना जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस का इतिहास:
इस दिन को मनाए जाने की नीव तब पड़ी 1886 में 1 मई को पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में लोगों ने काम की अवधि को अधिकतम 8 घंटे प्रति दिन निर्धारित करने के लिए हड़ताल शुरू की थी। जिसके बाद 4 मई को शिकागो के हैमार्केट स्क्वायर में एक बम विस्फोट हुआ, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। समाजवादी अखिल राष्ट्रीय संगठन ने इस घटना में मरने वालों की स्मृति में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस मनाने और पूरे विश्व में श्रम कल्याण को बढ़ावा देने की शुरूआत की थी ।
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महत्वपूर्ण तथ्य-
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड.
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अध्यक्ष: गाय राइडर
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना: 1919.



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