भारत सरकार ने इम्प्लांट और गर्भ निरोधक (contraceptives) सहित सभी चिकित्सा उपकरणों को “ड्रग्स” की श्रेणी में रखने का निर्णय लिया है। पुन: वर्गीकरण के संबंध में अधिसूचना स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी की गई । इसके कार्यान्वयन के साथ ही सभी चिकित्सा उपकरण अब केन्द्रीय औषध एवं मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के अंतर्गत आएंगे। 1 अप्रैल 2020 से किए बदलावों को लागू किया जाएगा। पुन: वर्गीकरण से दवाओं के लिए जिम्मेदार संस्था “CDSCO” को सुरक्षा और गुणवत्ता में सुधार के लिए विनियमन को कड़े करने में सक्षम बनाएगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार जिन चिकित्सा उपकरणों को फिर से वर्गीकृत किया जाएगा, उनमें वे उपकरण शामिल हैं जो किसी भी बीमारी या विकलांगता के लाइफ सपोर्ट, निदान, उपचार या निवारण के लिए उपयोग किए जाते हैं। इसमें वे भी उपकरण शामिल होंगे जिनका उपयोग अन्य चिकित्सा उपकरणों को कीटाणुरहित करने के लिए किया जाता है। इस अधिसूचना में बाजार में बिकने वाले लगभग सभी चिकित्सा उपकरणों कवर होंगे।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भी चिकित्सा उपकरणों की विभिन्न श्रेणियों के लिए परिवर्तन की अवधि बताते हुए एक और अधिसूचना जारी करेगा।
भारत में चिकित्सा उपकरणों के वर्गीकरण के लिए वर्तमान नियम:
भारत में, चिकित्सा उपकरणों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
- A
- B
- C
- D
श्रेणी के अनुसार चिकित्सा उपकरणों के उदाहरण:
- A और B श्रेणी में कम जोखिम वाले मेडिकल डिवाइस होते हैं जैसे सर्जिकल ड्रेसिंग, अल्कोहल स्वैब, थर्मामीटर, ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग डिवाइस आदि।
- C और D श्रेणी में उच्च जोखिम वाले उपकरण हैं जैसे इम्प्लांट , हेमोडायलिसिस कैथेटर, एंजियोग्राफिक गाइड वायर और हार्ट वाल्व आदि।
वर्तमान चिकित्सा नियमों के अनुसार, CDSCO कम जोखिम वाले उपकरणों के निरीक्षण के लिए अधिसूचित किए गए निजी निकायों को लाइसेंस जारी करता है। जबकि, उच्च जोखिम वाले उपकरणों के मामले में, सीडीएससीओ लाइसेंस जारी करने के साथ-साथ उच्च जोखिम वाले उपकरणों के निरीक्षण के लिए जिम्मेदार होता है।
उपरोक्त समाचार से सभी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य-
- केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मंत्री: हर्षवर्धन