केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 31 जनवरी 2017 को संसद के बजट सत्र में आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 रखा. संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया. यह पहला मौका है जब राष्ट्रपति के अभिभाषण के तुरंत बाद ये दस्तावेज संसद के पटल पर रखे गए. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम द्वारा तैयार आर्थिक समीक्षा में 2017-18 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर 6.75% से 7.50% रहने का अनुमान जताया गया है. समीक्षा के अनुसार, नोटबंदी और तेल कीमतों में बढ़ोतरी से वृद्धि अनुमान के लिए जोखिम हो सकता है. आर्थिक समीक्षा 2016-17, गरीबी घटाने के लिए विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं के एक विकल्प के तौर पर यूनिवर्सल बुनियादी आय (यूबीआई) का समर्थन करता है.
आर्थिक सर्वेक्षण/समीक्षा 2016-17 के प्रमुख बिंदु :
■ 2016-17 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि घटकर 6.5 प्रतिशत रहेगी जो पिछले वर्ष 7.6% थी.
■ वित्त वर्ष 2016-17 के लिए विकास दर का अनुमान 7-7.75 फीसदी.
■ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, कच्चे तेल के घटे दाम से अप्रत्याशित राजकोषीय लाभ की उम्मीद.
■ चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रहेगी. 2015-16 में यह 1.2 प्रतिशत रही थी.
■ नकारात्मक निर्यात वृद्धि का रुझान 2016-17 (अप्रैल-दिसम्बर) के दौरान कुछ हद तक परिवर्तित हुआ और निर्यात 0.7 प्रतिशत बढ़कर 198.8 बिलियन तक पहुंच गया
■ सेवा क्षेत्र के 2016-17 के दौरान 8.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है.
■ औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर के 2016-17 के दौरान 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो कि 2015-16 के दौरान 7.4 प्रतिशत थी.
■ विमुद्रीकरण से पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों में नकद राशि की आपूर्ति में कमी और इसके फलस्वरूप जीडीपी वृद्धि में अस्थायी कमी शामिल है, जबकि इसके फायदों में डिजिटलीकरण में वृद्धि, अपेक्षाकृत ज्यादा कर अनुपालन और अचल संपत्ति की कीमतों में कमी शामिल हैं, जिससे आगे चलकर कर राजस्व के संग्रह और जीडीपी दर दोनों में ही वृद्धि होने की संभावना है.
स्रोत – दि इकॉनोमिक टाइम्स