Categories: Defence

नई दिल्ली में 13वां हिंद-प्रशांत सेना प्रमुख सम्मेलन आयोजित

नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में 13वां हिंद-प्रशांत सेना प्रमुख सम्मेलन आईपीएसीसी आयोजित किया जा रहा है। यह सम्मेलन आज और कल यानी 27 सितंबर तक होगा। पहले दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसमें भाग लिया। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक क्षेत्र के रूप में विकसित हुआ है। यह क्षेत्र सीमा विवाद और समुद्री डकैती जैसी जटिल सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है।

 

जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखना जरूरी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस दौरान कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के छोटे देशों की जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को उचित महत्व मिलना चाहिए।

 

अनुकूल बुनियादी ढांचे की मांग

राजनाथ सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और बदलते मौसम का आर्थिक प्रभाव पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढांचे की मांग पैदा करता है। हमारे सभी साझेदार देशों की मजबूरियों और दृष्टिकोणों को समझने के साथ-साथ विशेषज्ञता और संसाधनों को साझा करने की आवश्यकता है।

 

वैश्विक चुनौतियों का समाधान

उन्होंने कहा कि मित्र देशों के साथ मजबूत सैन्य साझेदारी बनाने की दिशा में भारत के प्रयास न केवल अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं, बल्कि हम सभी के सामने आने वाली महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए भी हैं। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा साझा सुरक्षा और समृद्धि के लिए स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के पक्ष में खड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि पुराने समय से हमारी संस्कृति की आधारशिला ‘नेबरहुड फर्स्ट’ रहा है।

 

भारत के रक्षा निर्यात लक्ष्य:

भारत ने 2024-25 तक 35,000 करोड़ रुपये का महत्वाकांक्षी रक्षा निर्यात लक्ष्य निर्धारित किया है, जो रक्षा विनिर्माण में देश की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है। निर्यात के आंकड़ों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जबकि नीतिगत पहलों और सुधारों के कारण आयात में कमी आई है।

 

बहुपक्षीय सुरक्षा साझेदारी

अमेरिकी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल जेम्स सी मैककॉनविले ने भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के साथ सम्मेलन की सह-मेजबानी की। बहुपक्षीय सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए दो अन्य सम्मेलन, इंडो-पैसिफिक आर्मीज़ मैनेजमेंट सेमिनार (आईपीएएमएस) और सीनियर एनलिस्टेड लीडर्स फोरम (एसईएलएफ) एक साथ आयोजित किए गए थे।

 

इंडो-पैसिफिक का वैश्विक महत्व

लेफ्टिनेंट जनरल एम. वी. सुचिन्द्र कुमार ने वैश्विक परिदृश्य में इंडो-पैसिफिक की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह क्षेत्र दुनिया की 64 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 63 प्रतिशत का योगदान देता है और विश्व व्यापारिक व्यापार में 46 प्रतिशत का योगदान देता है।

 

Find More Defence News Here

[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
vikash

Recent Posts

World Soil Day 2025: जानें मृदा दिवस क्यों मनाया जाता है?

हर साल विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर को मनाया जाता है। मृदा को आम बोलचाल…

2 hours ago

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 2025: इतिहास और महत्व

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम…

3 hours ago

संयुक्त राष्ट्र प्रणाली: मुख्य निकाय, कोष, कार्यक्रम और विशेष एजेंसियां

यूनाइटेड नेशंस (UN) एक बड़े इंस्टीट्यूशनल सिस्टम के ज़रिए काम करता है जिसे UN सिस्टम…

4 hours ago

मिज़ोरम के पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल का 73 वर्ष की उम्र में निधन

मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल का 4 दिसंबर 2025 को 73…

6 hours ago

Aadhaar प्रमाणीकरण लेनदेन नवंबर में 8.5 प्रतिशत बढ़कर 231 करोड़ हुए

भारत में आधार का उपयोग लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नवंबर 2025 में, आधार…

7 hours ago