Home   »   30 नवंबर 2017 को 100 साल...

30 नवंबर 2017 को 100 साल का हुआ 1 रुपये का नोट

30 नवंबर 2017 को 100 साल का हुआ 1 रुपये का नोट |_3.1

भारत के इस सबसे छोटे कागजी मूल्यवर्ग नोट ने जनता के लिए जारी होने के बाद से सम्पूर्ण विश्व में एक शानदार ऐतिहासिक यात्रा की है. हमारे एक रुपये के नोट ने एक शतक पूरा कर लिया है! भारत में 30 नवंबर, 1917 को किंग जॉर्ज पंचम की तस्वीर के साथ पहली बार एक रुपये का नोट छापा गया था. यह वह समय था जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था.

1 रुपए के नोट की उत्पत्ति प्रथम विश्व युद्ध पर निभर करती है जहां टकसाल के सिक्कों की अक्षमता ने तत्कालीन औपनिवेशिक अधिकारियों को 1917 में  1 रूपये के सिक्के का मुद्रण नोटों में बदलाव करने के लिए मजबूर किया.

आइए पिछले 100 वर्षों में इसकी शानदार यात्रा को याद करते हुए अतीत को फिर से देखें:
  • एक रुपये का पहला नोट 30 नवंबर, 1917 को शुरू किया गया था जिस पर लिखा था कि “I Promise to Pay”.
  • 1917 से 2017 के बाद से 125 अलग-अलग एक रुपया के नोट्स जारी किए गए जो विभिन्न सीरियल नंबर और हस्ताक्षर के साथ संचलन के लिए जारी किए गए.
  • पिछले 100 वर्षों से एक रुपये के नोट का डिजाइन 28 बार बदला गया है और अद्यतन नोट में नोट के निचले दाहिने हिस्से में, बाएं से दाएं संख्याओं के आरोही क्रम में काले रंग की संख्या होगी.
  • हालांकि इन परिवर्तनों से गुजरने के बाद भी 1 रूपये के नोट ने अपनी अनूठी विशेषताओं को बरकरार रखा है, तथा क़ानूनी भाषा में इसे ‘सिक्का’ कहा जाता है.
  • सिर्फ एक रुपये का ही नोट ऐसा है जिसे भारत सरकार जारी करती है बाकी सभी नोट रिज़र्ब बैंक ऑफ इंडिया जारी करती है.एक रुपये के नोट पर रिजर्ब बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर नहीं होता है बल्कि वित्त सचिव का हस्ताक्षर होता है.
  • 1 रूपये के नोट का रंग मुख्य रूप से दोनों पक्षों पर गुलाबी-हरा होगी, साथ ही डिजाइन में कुछ अन्य रंग भी शामिल होंगे.
  • नए आयताकार के नोट का आयाम 9.7 x 6.3 सेमी और मोटाई 110 माइक्रोन होंगी.
  • इस पर वित्त मंत्रालय के सचिव शक्तिकांत दास के द्विभाषी हस्ताक्षर हैं, और इसमें ‘?’ के साथ नए 1 रूपये के सिक्के की एक तस्वीर है तथा 2017 के सिक्के को हिंदी में ‘सत्यमेव जयते’ के साथ जारी किया गया है तथा नंबरिंग पैनल में कैपिटल लैटर ‘L’ है.

शीर्ष 3 एक रुपये के नोट जो अब तक दुनिया में सबसे अधिक बिकने वाले है तथा वर्तमान में सबसे अधिक मांग में हैं:
  • 1985 के 1 रुपये के रिपब्लिक इंडिया स्पेसिमेन नोट जिसपर एस.वेनितारामानन द्वारा हस्ताक्षर किये थे जिसे 21 जनवरी 2017 को क्लासिकल नुमिसमाटिक्स गैलरी में 2,75,000 रुपये में बेजा गया था. 
  • 2015 के 1 रुपये के रिपब्लिक इंडिया स्पेसिमेन नोट जिसपर वित्तीय सचिव द्वारा हस्ताक्षर किये गए उसे 1 अप्रैल 2017 को क्लासिकल नुमिसमाटिक्स गैलरी में 1,50,000 में बेजा गया था.  
  • 1944 का 1 रुपये का नोट, ब्रिटिश इंडिया का पहला संस्करण जिसपर  सी ई जोन द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे उसके 100 के एक पैक को अक्टूबर 2009 में टोडीवल्ला की 24वीं नीलामी में 1,30,000 रुपये में बेचा गया.   

90 के दशक में एक रुपये का नोट:
  • एक रुपए के नोटों पर तत्कालीन ब्रिटिश शासक किंग जॉर्ज पंचम की तस्वीर थी, जो उस पर अंकित थी लेकिन लागत लाभ के विचारों से 1926 तक नोट बंद कर दिए गए थे. उन्हें 1940 में किंग जॉर्ज VI के चित्र के साथ द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फिर से शुरू किया गया था और 1994 में इसे पुनः बंद कर दिया गया था. 21 साल बाद, यह वर्ष 2015 में पुनः से वापस आया.
  • 1 रूपये के नोट ने चांदी के सिक्के को प्रतिस्थापित किया था, जो राजसी 1 रूपये के भंडारण मूल्य का प्रचलित तरीका था.
  • 1948 के बाद से, एशियाई ऐज में एक रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न आरबीआई गवर्नर्स के विभिन्न हस्ताक्षरों, मुद्रण के विभिन्न वर्षों में विभिन्न सीरियल नंबरों के साथ 60 अलग-अलग एक रुपये के नोट देखने को मिलते हैं.
  • 1970 तक, भारतीय एक रुपये के नोट का उपयोग दुबई, बहरीन, मस्कट, ओमान आदि जैसे फारसी और खाड़ी देशों में मुद्रा के रूप में किया गया था. यदि आपके पास इनमें से कोई नोट है, तो आपको वर्तमान कलेक्टरों के बाजार में 20,000 से 30,000 प्रति नोट मिल सकते हैं.
  • 1945 में बर्मा में एक रुपये के नोटों को सशस्त्र बलों हेतु एक लाल ओवरप्रिंट के साथ प्रसारित किया गया था.
  • 15 अगस्त 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद एक रूपये की पहली मुद्रा 1948 में जारी की गई थी. यह नोट आकार और रंग में अलग था, जिसमें आठ भारतीय भाषाओं में एक रुपया लिखा गया था. हालांकि, मलयालम भाषा को इसमें शामिल नहीं किया गया था, जिसे 1956 में केरल राज्य के गठन के बाद शामिल किया गया था.
  • 1969 में, एक मात्र एक रूपये का नोट जिस पर गाँधी को दर्शाया गया, जिसे गाँधी जी के जन्मदिन की शताब्दी के स्मारक-रूप में जारी किया गया था.

TOPICS:

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *